महंगी दामों पर डी ए पी व यूरिया खरीदने को विवश अन्नदाता
जिम्मेदार अफसरों के कानों में नहीं पड़ रही आवाज

किसान साधन सहकारी समिति कोरांव में मानक की अपेक्षा कम खाद आने से लग रही लम्बी कतार
धान के कटोरे से नदारद खाद

खून से भी ज्यादा महंगी खाद अन्नदाताओं को सहकारी समितियों पर मिल रही निराशा
धान के कटोरे में खाद का अभाव कैसे करें रोपाई
कौशाम्बी सन्देश बब्बन बागी
प्रयागराज कोरांव
जनपद में प्रयागराज का जमुनापार इलाका धान के कटोरे के रुप में अपनी पहचान के लिए जाना जाता है जिसमें कोरांव तहसील अग्रणी भूमिका में जाना जाता है। कोरांव में वर्तमान में कोरांव सघन सहकारी समिति के अलावा सिकरो , बड़ोखर तथा पटवारी समितियां अब भी रनिंग में है वही आधा दर्जन से ज्यादा समितिया बन्द हो चुकी है। ऐसा नहीं कि कोरांव बाजार में खाद का अभाव है,असल बात तो यह है कि किसान को जुलाई महीना में एक अग्नि परीक्षा को पास करके आगे बढ़ने की एक कठिन चुनौती है। एक ओर जहां बच्चों की शिक्षा का बोझ एडमिशन, किताबें, ड्रेस व महंगे स्कूलों में बच्चों को अच्छी शिक्षा मुहैया कराने की जिम्मेदारी कन्धों पर होगी है। तो वहीं दूसरी ओर धान की रुपाई जिसमें बड़ती लागत किसानों की कमर तोड़ रहीं हैं।इन सबको देखते हुए सरकार ने सहकारी समितियों की स्थापना की, जिसमें किसानों का हिस्सा जमा होता है। और उसी हिस्से के आधार पर उनको उधार खाद किसानी के लिए आवश्यकता नुसार मिल सकें। और फसल तैयार होने के बाद किसान ब्याज सहित उक्त धनराशि को समितियों को ब्याज के साथ वापस लौटा दिया करता था जिससे अन्नदाताओं को काफी राहत मिलता था। किन्तु वर्तमान समय में एक तो जहां समितियों में आवश्यकता नुसार खाद उपलब्ध नहीं है, वहीं शासन द्वारा निर्धारित एक किसान को महज तीन बोरी यूरिया व दो बोरी डी ए पी का शासनादेश उनके लिए मुशिबत से कम नहीं है। क्योंकि दस बीघे से लेकर चालीस पचास बीघे के कास्तकार समितियों के सदस्य हैं उनके लिए समितियों से मिलने वाली खाद ऊंट के मुंह में जीरा साबित होकर रह गई है। खुले मार्केट में खाद तों है पर बोरी किसी और ब्रान्ड की तो खाद कुछ और जो पैसा लगाने पर भी मात खा रहे हैं। कोरांव सघन सहकारी समिति जहां से पच्चीस से तीस ट्रक यूरिया व दस से पन्द्रह ट्रक डी ए पी की विक्री होती थी, पर आज दस ट्रक खाद भी समिति पर नहीं आती जिससे अन्नदाताओं को कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। वर्तमान समय में भी किसान सघन सहकारी समिति में खाद नदारद होने के कारण किसानों को बाजार की शरण लेनी पड़ रही है, जिसके लिए उन्हें व्यापारियों से ब्याज पर रकम लेनी होगी है। इस सम्बन्ध में जिला कृषि अधिकारी के के सिंह से बात करने पर बताया गया कि शासन के आदेश के अनुक्रम में खादों के वितरण की व्यवस्था में मानक का निर्धारण किया है जो किसानों की मांग के अनुरूप कम है, किन्तु हम इस में कुछ भी नहीं कर सकते। वहीं खाद की कमी को जल्द दूर करने की बात कही गई।
वहीं दूसरी ओर अन्नदाताओं ने सरकार का ध्यान आकर्षित करवाते हुए पर्याप्त मात्रा में उन सबको खाद उपलब्ध कराई जाएं और राम राज्य कायम ही नहीं होंगा बल्कि किसानों की समस्यायों का भी समाधान हो सके।

Kaushambi Sandesh
Author: Kaushambi Sandesh

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