फिटर 2010-2012 ट्रेनीज लिस्ट में 17 में नंबर पर ट्रेड रोल नंबर f17 शिव सिंह पुत्र राम धीरज का नाम अंकित
यूजीसी ने बताया कि एक सत्र में दो रेगुलर कोर्स नहीं हो सकता
जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी ने आईजीआरएस में लगायें झूठी रिपोर्ट
छत्रपति शाहू जी महाराज यूनिवर्सिटी कानपुर से 2009 से 2012 में किया गया बीएससी
कौशांबी संदेश गणेश अग्रहरि ब्यूरो प्रमुख कौशांबी
मोहब्बपुर पैंसा थाना क्षेत्र के कलुआ पुर मजरा उदहिन बुजुर्ग गांव निवासी राहुल सिंह पुत्र मानसिंह मंगलवार के दिन जिला अधिकारी महोदय कौशांबी को लिखित शिकायती पत्र देकर बताया कि 16 फरवरी 2024 को एक शिकायती पत्र महोदय जी के समक्ष विरुद्ध शिव सिंह पुत्र राम धीरज सिंह सहायक अध्यापक जो प्राथमिक विद्यालय कैनी में सहायक अध्यापक के पद पर कार्यरत हैं जो असंवैधानिक ढंग से पढ़ा रहा है जो एक ही शैक्षिक सत्र 2009 से 2012 तक बीएससी रेगुलर अमर शहीद कंचन सिंह पीजी महाविद्यालय शिवपुरी खागा फतेहपुर से डिग्री प्राप्त किया जिसका रोल नंबर 0332912 है और इसी सत्र में 2010 से 2012 तक एमटीआई फिटर ट्रेड का रेगुलर प्रशिक्षण एनएसटीआई सीटीआई चौराहा गोविंद नगर कानपुर से प्रशिक्षण प्राप्त किया जिसका रोल नंबर एफ 17 है।इस संदर्भ में पीड़ित के द्वारा शिकायती प्रार्थना पत्र साक्ष्य के रूप में बीएससी की अंक पत्र की छाया प्रति व आरटीआई के तहत जन सूचना से ऑनलाइन प्रशिक्षण की सूची संबंधित संस्थान से उक्त व्यक्ति के नाम के साथ प्राप्त किया और उसे जिला अधिकारी कौशांबी को संलग्न करते हुए अवगत कराया और जिला अधिकारी बेसिक शिक्षा अधिकारी को जांच का आदेश दिया सहायक अध्यापक के विरुद्ध सही जांच ना करते हुए जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी ने आईजीआरएस में फर्जी रिपोर्ट लगाकर उच्च अधिकारियों को गुमराह कर रहे हैं।
अब सवाल यह उठता है कि पीड़ित ने जिला अधिकारी महोदय को और आईजीआरएस के माध्यम से कई बार बेसिक शिक्षा अधिकारी को अवगत कराया लेकिन बेसिक शिक्षा अधिकारी अपने मनमानी तरीके से और अध्यापक से साठ गांठ का फर्जी रिपोर्ट लगा देते हैं जबकि साक्ष्य के रूप में एक ही सत्र के दोनों साक्ष्य लगाए गए हैं और अधिकारियों को अवगत भी कराया इसके बावजूद भी बेसिक शिक्षा अधिकारी फर्जी रिपोर्ट लगा देते हैं जबकि एक साल से फर्जी अध्यापकों के विषय में समाचार पत्र के माध्यम से अधिकारियों को अवगत कराया जा रहा है है अधिकारी सिर्फ अध्यापकों के वेतन रोकने तक ही सीमित रह गए हैं ऐसा लग रहा है कि साठगांठ कर लेने से इनके पेन की स्याही खत्म हो गई है या अधिकारी इन अध्यापकों के दबाव में हैं जो अध्यापको के विरुद्ध कार्रवाई करने में कतरा रहे हैं।