घर की लक्ष्मी कहे जाने वाली नारी का आदिकाल से सम्मान होता चला आ रहा है वैसे तो भारत की नारियां सदैव सम्मानित ही रही हैं और भारत की नारियां भारत देश का गौरव बढ़ाने में पीछे नहीं रही चाहे वो रानी लक्ष्मीबाई रही हो ,चाहे दुर्गा भाभी रही हो ,चाहे महारानी कर्मवती रही हो, चाहे चांदबीबी रही हो ,चाहे सावित्री देवी रही हो, चाहे जगत जननी मां सीता रही हो, चाहे उर्मिला जी रही हो ऐसी भारत की अनेकानेक नारियां भारत देश में जन्मी और भारत देश का गौरव बढ़ाया और जिस नारी का जिस पति के साथ ब्याह कर दिया गया वह नारी उस पति के साथ सात जन्मों का बंधन को निभाते हुए साथ निभाया है चाहे पति लंगड़ा रहा हो या बहरा रहा हो, अंधा रहा हो कोढी रहा हो या पागल रहा हो सभी ने पति धर्म का निर्वाह किया है । पति धर्म के कारण ही जगत जननी मां सीता ने एक तिनके का सहारा लेकर रावण जैसे महाबली को परास्त किया था यदि सभी नारिया पति धर्म का जिस दिन पालन करना स्वीकार कर लेंगी पति के साथ किसी तरह का छल कपट नहीं करेंगी उस दिन से भारत देश की शक्ति बढ़कर
कौशांबी संदेश गणेश अग्रहरि ब्यूरो प्रमुख कौशांबी