
कौशाम्बी संदेश
कौशाम्बी। ईमानदारी और कर्तव्य जब एक साथ चलते हैं, तो विश्वास और सम्मान की नींव और मजबूत हो जाती है। सिराथू पुलिस चौकी के प्रभारी मनोज तोमर ने इस सिद्धांत को सत्य करते हुए ऐसा कार्य किया, जिसने पुलिस की साख और मानवता के प्रति उनकी प्रतिबद्धता को और मजबूत कर दिया।
*एक छोटी सी चूक, बड़ी चिंता*
शुक्रवार सुबह डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (डीएफसीसीआईएल) में जूनियर एग्जीक्यूटिव चेतन चंद्रा अपनी नियमित ड्यूटी के लिए निकले थे। राह में उनका बटुआ गिर गया, जिसमें केवल 500 रुपए ही नहीं, बल्कि उनके कई महत्वपूर्ण दस्तावेज—पैन कार्ड, एटीएम कार्ड, वोटर आईडी और मेडिकल पेपर्स मौजूद थे। बटुए का गुम होना उनके लिए किसी संकट से कम नहीं था, क्योंकि यह केवल पैसों का नहीं, बल्कि उनकी पहचान और सुरक्षा से जुड़ा मामला था। चिंता स्वाभाविक थी, लेकिन नियति ने उनके लिए कुछ और तय कर रखा था।
*कर्तव्य के पथ पर एक ईमानदार प्रहरी*
इसी दौरान सिराथू चौकी इंचार्ज मनोज तोमर अपने दल के साथ बैंकिंग सुरक्षा निरीक्षण के लिए निकले थे। सतर्क नजरें हमेशा की तरह इलाके का जायजा ले रही थीं, तभी एक लावारिस बटुआ दिखाई दिया। चौकी प्रभारी ने तत्काल बटुए की पड़ताल की और उसमें रखे दस्तावेजों को ध्यान से देखने के बाद यह सुनिश्चित किया कि यह चेतन चंद्रा का है। बिना समय गंवाए, उन्होंने चेतन से संपर्क साधा और उन्हें सिराथू चौकी आने का अनुरोध किया। जब चेतन चौकी पहुंचे, तो औपचारिक सत्यापन के बाद उन्हें उनका बटुआ सौंप दिया गया। बटुआ पाकर चेतन की आंखों में राहत, चेहरे पर मुस्कान और मन में कृतज्ञता का भाव स्पष्ट था। उन्होंने चौकी प्रभारी मनोज तोमर की ईमानदारी, तत्परता और सेवा-भावना की मुक्त कंठ से सराहना की।
*एक छोटी घटना, लेकिन बड़ी सीख*
यह घटना केवल एक खोए हुए बटुए की वापसी नहीं थी, बल्कि यह एक ऐसे पुलिस अधिकारी की ईमानदारी की कहानी थी, जो कर्तव्य को महज एक औपचारिकता नहीं, बल्कि अपनी जिम्मेदारी मानता है। मनोज तोमर ने यह साबित कर दिया कि पुलिस केवल अपराधियों को पकड़ने वाली शक्ति नहीं, बल्कि समाज में विश्वास और सुरक्षा की प्रतीक भी है।

Author: Kaushambi Sandesh
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