नवरात्रि के सातवें दिन हुई मां कालरात्रि स्वरूप की पूजा,चंड मुंड को मारने के लिए मां दुर्गा ने अपने मत्थे से कालरात्रि स्वरूप को अवतरित किया था,तंत्र,मंत्र,साधना में इनकी पूजा का है विशेष महत्व
कौशाम्बी संदेश आर्या शुक्ला जिला कार्यालय
कड़ा 51शाक्तिपीठ कडाधाम में नवरात्रि के सातवें दिन भक्तों ने मां कालरात्रि स्वरूप की पूजा की।सुबह से भारी संख्या में श्रृध्दालू भक्त कडाधाम पहुंचे और मां की एक झलक पाने को घंटो लाइन में खडे होकर अपनी बारी का इंतजार करते रहे।ऐसा माना जाता है
कि इस दिन पूजा करने से मां कालरात्रि अपने भक्तों को काल से बचाती हैं अर्थात उनकी अकाल मृत्यु नही होती है।पुराणों में इन्हें सभी सिद्दियों की देवी कहा गया है।इसलिए तंत्र,मंत्र के साधक इस दिन देवी की विशेष रूप से पूजा अर्चना करते है।पौराणिक कथा है कि शुभ निशुंभ और उसकी सेना को देखकर मां दुर्गा को भयंकर क्रोध आ गया जिसके वजह से उनका वर्ण श्यामल हो गया और इसी श्यामल रूप से देवी कालरात्रि प्रकट हुई।मां का यह रूप अपने भक्तों के लिये ममतामयी होने से इनका एक नाम शुभंकरी भी माना जाता है।माता की सवारी वैसाख नंदन,गर्दभ यानि गदहा है जो कि समस्त जंतुओं में सबसे ज्यादा परिश्रमी और निर्भय होकर अपनी अधिष्ठात्री देवी कालरात्रि को लेकर इस संसार में विचरण कर रहा है।कडाधाम में मां शीतला भी गर्दभ पर सवार जिससे इस दिन कडाधाम में मां शीतला कि पूजा का विशेष महत्व है।मां कालरात्रि की पूजा में गुड के भोग का विशेष महत्व है और फूलो में गुडहल अतिप्रिय है।मां कालरात्रि के उच्चारण मात्र से ही भूत,प्रेत,राक्षस,दानव और सभी पैशाचिक शाक्तियां भाग जाती है।वहीं नवरात्रि मेला के सप्तमी तिथि को भारी भीड़ होने से तीर्थ यात्रियों को धक्का मुक्की का भी सामना करना पड़ा वहीं मंदिर में लगे पंखे पर्याप्त संख्या में न लगे होने के कारण श्रद्धालु भक्तों को उमस भरी गर्मी का भी सामना करना पड़ा।कडाधाम में आनेवाली श्रृध्दालू भक्तों की व्यवस्था के लिये भारी संख्या में पुलिस व पीएसी बल मौजूद रही।