सालों से एक ही ब्लॉक में डटे कर्मचारी, उड़ा रहे शासनादेश की धज्जियां
तबादला हुआ तो कुछ दिनों बाद फिर पहुंचे उसी ब्लॉक,अधिकारी भी अंजान

कौशाम्बी संदेश आर्या शुक्ला जिला कार्यालय


*कौशाम्बी* मंझनपुर। ब्लॉकों में तैनात मनरेगा कर्मचारियों की तैनात को लेकर जिले में धोलमाल है। यहां 10-15 साल से कर्मचारी एक ही ब्लॉक में तैनात है। जबकि इनको तीन साल से अधिक एक ब्लॉक में नहीं रहना है। इतना ही नहीं किसी कर्मचारी का तबादला हुआ भी तो वह कुछ दिनों फिर से उसी ब्लॉक में पहुंच जाता है। जबकि इसे लेकर स्पष्ट निर्देश है कि दोबारा कर्मचारी को उसी ब्लॉक में तैनाती नहीं मिलेगी। 
     मनरेगा योजना के कार्यों के निस्तारण के लिए ब्लॉक स्तर पर अतिरिक्त कार्यक्रम अधिकारी, लेखाकार, कंप्यूटर आपरेटर व तकनीकी सहायक की तैनाती है। यह कर्मचारी लंबे समय से एक ही ब्लॉक में तैनात है। जबकि इनका तबादला तीन साल के अंदर किसी दूसरे ब्लॉक में होनी चाहिए। जिले में ऐसा नहीं हुआ। एक ही ब्लाॅक में कर्मचारी 10-15 साल से तैनात है। इनके तबादले हुए भी तो वह दोबारा उसी ब्लॉक में अपने प्रभाव का प्रयोग कर आ गए। जबकि शासन का स्पष्ट आदेश है कि दोबारा कर्मचारी को उसी ब्लॉक में नहीं तैनात किया जा सकता। उदाहरण के तौर पर देखें तो कौशाम्बी ब्लॉक में तैनात पंकज सोनकर दोबारा ब्लॉक में तैनाती हुई है। इनका यहां करीब 10 साल का कार्यकाल पूरा हो गया। इसी प्रकार सिराथू में एपीओ अशोक कुमार यादव पांच साल से तैनात हैं। एवम एपीओ श्री जितेन्द्र सिंह जनपद में विगत पांच साल से अधिक तैनाती हों चुकी है। चायल में लेखाकार अनिल राज सात साल से, सरसवा में ध्रुव नारायण पाण्डेय लेखाकार नव सालो से और मूरतगंज में रवि शंकर आठ साल से तैनात हैं। कंप्यूटर ऑपरेटर आशा मौर्या 14 साल से मंझनपुर में तैनात है। इनपर तमाम आरोप भी लगे लेकिन इनको यहां से नहीं हटाया गया। इसी प्रकार कौशाम्बी ब्लॉक में अरविंद सिंह सात साल, नेवादा में चंद्र प्रकाश आठ साल से अधिक समय से तैनात हैं।
     तकनीकी सहायकों की बात करें तो कड़ा में तकनीकी सहायक योगेंद्र यादव, सरसवां में सुमित शर्मा व मंझनपुर में संतोष सिंह करीब 15 साल से अधिक समय से तैनात हैं।
किसका हाथ है जो मनरेगा कर्मियों का नियम तोड़ कर तैनाती होने के बाद भी अधिकारियो कान जु तक नही रेंग रही है। दबी जुबान कुछ ग्राम प्रधानों नाम न छपने के डर से विरोध भी नही कर पाते क्योकि अगर विरोध करते है तो यही कर्मी से कार्य भी लेना होता है। ईनामदार ज़िला अधिकारी होने के बाद भी तबादला न होना जनपद में चर्चा का विषय बना हुआ है।

Kaushambi Sandesh
Author: Kaushambi Sandesh

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