हर एक व्यक्ति को एक न एक दिन ईश्वर की महत्ता को स्वीकार करना पड़ता है: आचार्य श्रीकांत

कौशांम्बी संदेश पारस अग्रहरि

श्रीराम व कृष्ण जन्म की कथा सुन श्र्रोता हुए भाव विभोर, जय श्री राम के जयघोष से गूंजा कथा स्थल
कौशांबी।
नेवादा ब्लाक के अमिरसा गांव में चल रही सात दिवसीय श्रीमद् भागवत कथा में रविवार को कथा व्यास ने भगवान श्री राम व कृष्ण जन्म की कथा के साथ उनकी बाल लीलाओं का संगीतमयी वर्णन किया। कथा व्यास ने कहा कि भगवान हमेशा अपने भक्तों का ध्यान रखते हैं। उन्होंने कहा कि जब-जब धरती पर पाप, अनाचार बढ़ता है, तब-तब भगवान श्रीहरि धरा पर किसी न किसी रूप में अवतार लेकर भक्तों के संकट को हरते हैं। उन्होंने कहा कि जब कंस के पापों का घड़ा भर गया, तब भगवान श्री कृष्ण ने जन्म लेकर कंस का अंत किया और लोगों को पापी राजा से मुक्ति दिलाई। भगवान की बाल लीलाओं का वर्णन सुन श्र्रोता भाव विभाेर हो गए। जय श्री कृष्ण के जयघोष से कथा स्थल गुंजायमान हो उठा।
       कथा व्यासिका शीघ्रता त्रिपाठी के साथ आए कथा व्यास आचार्य श्रीकांत त्रिपाठी ने श्रीमद् भागवत कथा के चौथे दिन रविवार को भगवान श्री राम व कृष्ण जन्म के साथ उनकी बाल लीलाओं का वर्णन किया। कथा व्यास ने कहा कि आज का व्यक्ति ईश्वर की सत्ता को मानने से भले ही इन्कार कर दें, लेकिन एक न एक दिन उसे ईश्वर की महत्ता को स्वीकार करना ही पड़ता है। श्रीराम जन्म की कथा सुनाते हुए कहा कि जब अयोध्या में भगवान राम का जन्म होने वाला था तब समस्त अयोध्या नगरी में शुभ शकुन होने लगे। भगवान राम का जन्म होने पर अयोध्या नगरी में खुशी का माहौल हो गया। चारों ओर मंगल गान होने लगे। राम जन्म की कथा सुन पांडाल में मौजूद महिलाएं अपने स्थान पर खड़े होकर नृत्य करने लगी। कंस के अत्याचार से तीनों लोक त्राहि-त्राहि कर रहा था। तब भगवान विष्णु ने कृष्ण के रूप में अवतार लिया। जब भगवान कृष्ण ने आधी रात को अवतार लिया तब सारे पहरेदार गहरी निद्रा में सोए हुए थे। वासुदेव, भगवान कृष्ण को टोकरी में रखकर गोकुल छोड़ आए और वहां से माया रूपी बालिका को अपने साथ ले आए। इधर जब कंस ने बच्चे के रोने की आवाज सुना तो कारागार की तरफ दौड़ पड़ा और जैसे ही उसने माया को जमीन पर पटकने का प्रयास किया तो वह उसके हाथ से छूटकर आकाश में चली गई। कथा के दौरान कृष्ण जन्म की झांकी देख श्रोता आनंद में झूम उठे। इस मौके पर मुख्य याजमान दुर्गा देवी, शिवमोहन मिश्र के साथ सैकडो भक्त मौजूद रहे।

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