रिपोर्ट मोहन लाल गौतम कौशाम्बी संदेश
कौशाम्बी /सिराथू तहसील के शहजादपुर में विजयादशमी पर्व धूमधाम से मनाया गया। इस दौरान आयोजित मेले में आए हुए लोगों जहां एक ओर खरीदारी किया। वहीं बच्चों ने झूले का लुत्फ उठाया।
महिलाओं ने भी जरूरतों के सामान खरीदे। पूरा मेला जनसैलाब से भरा हुआ था। मेले में राधा-कृष्ण, शिव-पार्वती, राम-लक्ष्मण, सीता सहित कई आकर्षक चौकियां निकाली गई, जो लोगो के आकर्षण का केंद्र बनी रही। वहीं दूसरी तरफ जैसे ही रामदल गाजे-बाजे के साथ लंका मैदान पर पहुंचा तो सर्व प्रथम सैकड़ों वर्षो से चली आ रही परंपरा के अनुसार रामदल व रावण दल के बीच गेंदा युद्ध शुरू हुआ। किसी कारण वश संचालक ने ज्यादा भीड़ के चलते गेंदा युद्ध को प्रतीक रूप में संपन्न करते हुए होने वाली अव्यवस्था को नियंत्रित कर लिया। उसके बाद मैदान में युद्ध लड़ने के लिए मेघनाथ आया। तब लक्ष्मण और मेघनाथ के बीच घनघोर युद्ध हुआ। जिसमें मेघनाथ ने ब्रम्हास्त्र का प्रयोग कर लक्ष्मण को मूर्छित कर दिया। लक्ष्मण के गिरते ही रामदल में निराशा छा गयी। तब सुग्रीव के कहने पर हनुमान लंका से सुषेन वैद्य को लाए। जिस पर उन्होंने कहा कि प्रात: होने से पहले यदि संजीवनी बूटी आ जाये तो लक्ष्मण के प्राण बच सकते है। जिस पर हनुमान हिमालय पर्वत पर बूटी न खोज पाने पर पूरा पहाड़ ही उठा लाये। जिस पर सुषेन वैद्य ने बूटी पहचान लिया। उसके प्रयोग से मूर्छित लक्ष्मण उठकर युद्ध के लिए तैयार हो गए। उन्होंने मेघनाथ को धराशायी कर दिया। उसके बाद राम और लक्ष्मण ने रावण पर बाणों की वर्षा कर दी, किन्तु रावण का सिर कटने के बाद पुन: वह जीवित हो उठता था। तब विभीषण ने बताया कि रावण की नाभि में अमृत है। इस पर श्रीराम ने एक साथ 31 बाणों का प्रयोग किया। जिस पर रावण का अंत हो गया और बुराई पर अच्छाई की जीत हो गयी। उपस्थित लोगों ने जय श्रीराम के नारे लगाकर एक दूसरे को गले लगाकर विजया दशमी की बधाई दी। राम व भरत का प्रेम देख भर आई दर्शकों की आंखें।