धार्मिक स्थलों को विकसित करने के लिए मुख्यमंत्री से मिली जिला पंचायत अध्यक्ष

जनपद के पांच धार्मिक स्थलों का होगा कायाकल्प

कौशाम्बी संदेश ब्यूरो प्रमुख

कौशाम्बी सांस्कृतिक व ऐतिहासिक धरोहर की ²ष्टि से कौशांबी काफी महत्वपूर्ण है। साथ ही गंगा-यमुना के बीच यह क्षेत्र पर्यटन की ²ष्टि से काफी समृद्ध है।

यहां ¨हदू धर्म के तीर्थ स्थलों के साथ ही मुस्लिम, बौद्ध व जैन धर्म के तीर्थ स्थल हैं। यहां के धार्मिक स्थलों को विकसित करने के लिए जिला पंचायत अध्यक्ष कल्पना सोनकर, सिराथू के पूर्व ब्लाक प्रमुख जितेंद्र सोनकर व कृष्ण जन्मभूमि के पक्षकार वीरेंद्र सिंह ने सोमवार की शाम उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मिले। उन्होंने सीएमओ से बताया कि पूर्व में जिला अधिकारी की ओर से कौशांबी के धार्मिक स्थलों को को विकसित करने के लिए कार्ययोजना बनाकर शासन को भेजकर 434 करोड़ की धनराशि की मांग की गई है, लेकिन धन धन अब तक नहीं मिला है। इसकी वजह से विकास कार्य नहीं हो पा रहा है। मुख्यमंत्री ने जिला पंचायत अध्यक्ष को आश्वासन दिया है कि कौशांबी के धार्मिक स्थलों को विकसित करने के लिए भेजी गई कार्य योजना पर वह जल्द ही विचार करेंगे और विकास कार्य के लिए धन भी दिया जाएगा। जिला पंचायत अध्यक्ष कल्पना सोनकर ने मुख्यमंत्री से बताया कि जिला मुख्यालय से करीब 25 किलोमीटर गंगा किनारे दूर शक्तिपीठ स्थल मां शीतला माता का मंदिर स्थित है। यहीं पर संत मलूक दास स्थल की जन्म स्थली भी है। इसके अलावा राजा जयचंद्र का किला और ख्वाजा कड़कशाह की दरगाह भी कड़ा में ही है। इसके अलावा कौशांबी में यमुना के किनारे गौतम बुद्ध आए थे। जो यहां से करीब 10 किलोमीटर यमुना के किनारे ही पभोषा गांव में जैन मंदिर है। इस स्थलों का विकास हो जाए तो कौशांबी पर्यटन नगरी बन जाएगी। इन स्थलों को विकसित करने के लिए प्रशासन ने 434 करोड़ की योजना बनाई है। इसके अलावा पश्चिम शरावां स्थित महादेव महारूद्र मंदिर के सुंदरीकरण की बात जिला पंचायत अध्यक्ष ने किया है। उन्होंने कहा कि अब तक धनराशि न मिल पाने की वजह से धार्मिक स्थलों का विकास समुचित रूप से नहीं हो सका। जिसकी वजह से आने वाले पर्यटकों को परेशानी होती है। धार्मिक स्थलों का इतिहास
संत मलूकदास : मध्ययुग के कवि संत मलूकदास ने कड़ा में जन्म लिया था। उनकी जन्म, कर्म व समाधि स्थली कड़ा में ही है। संत मलूकदास ने इस्लामी आक्रमण के दौरान अपने शिक्षा व संदेश के माध्यम से समाज को नई दिशा दी थी। उनके प्रभाव को इस्लामी शासक भी मानते थे। साल में एक बार समाधि स्थल पर लगने वाले मेले में संत मलूक के भक्त देश- विदेश से लोग आते हैं। यहां भंडारे का आयोजन किया जाता है।
जयचंद्र किला : कन्नौज के राजा जयचंद्र ने तीर्थ क्षेत्र कड़ा में किले का निर्माण कराया था। यह किला गंगा से सटा है। किले का कुछ हिस्सा टूट कर गिर गया है, लेकिन इसकी सुरक्षा को लेकर कोई भी प्रबंध नहीं किए गए है। अपने आप में सैकड़ों वर्षो से इतिहास संजोए इस किले को संरक्षण की दरकार है। पभोषा पहाड़ : जैन समुदाय के छठे तीर्थकर भगवान पदम प्रभु के जन्म, कर्म व समाधि स्थल का गवाह पभोषा का पहाड़ है। इस आलौकिक पहाड़ पर स्थित गुफाएं आज भी अपने आप में तमाम रहस्य समेटे हुए हैं। चांदनी बिखेरती रात में पहाड़ का सौंदर्य अद्वितीय हो जाता है। पहाड़ के नीचे मंदिर स्थित है। आधुनिक काल में बना जैन मंदिर लोगों के लिए आस्था का केंद्र है। बौद्ध मंदिर : कोसम ईनाम में भगवान गौतम बुद्ध ने चतुर्माषा किया था। गौतम बुद्ध ने राम विहार में रहकर तप करने के साथ शांति और अंहिसा का उपदेश भी दिया था। गौतम बुद्ध की इस तपोस्थली को दुनिया में सर्वश्रेष्ठ स्थान मिला है। ऐसा माना जाता है कि बुद्ध के अनुयायी जब तक यहां नहीं आते हैं, उनकी तीर्थ यात्रा अधूरी मानी जाती है। यही कारण है कि कंबोडिया समेत पूरे विश्व से बौद्ध धर्म के अनुयायी हर साल बड़ी संख्या में यहां आते हैं। यहीं पर सम्राट अशोक ने क¨लग विजय के बाद अपना डेरा डाला था। इसी स्थान पर अशोक ने एक स्तंभ की स्थापना की थी। खुदाई के दौरान मिले स्तंभ के ऊपर तीन ¨सहों से जुड़ी आकृति मिली, जिसे इलाहाबाद किले में स्थापित कराया गया है। कड़क शाह की मजार : तीर्थ क्षेत्र कड़ा में करीब 723 साले पहले ख्वाजा कड़क शाह बाबा आए थे। उन्होंने लोगों के बीच आपसी भाईचारे का संदेश देने के साथ ही तत्कालीन समय में फैली कुप्रथाओं का विरोध किया था। आज भी उनके बताए संदेशों को लेकर लोग संजीदा हैं। आज भी हजारों श्रद्धालु यहां पर आते हैं मन्नतें मांगते हैं मन्नतें पूरी हो जाने पर फूल माला व चादर चढ़ाई जाती है।
किसके लिए मांगी गई कितनी धनराशि शीतला माता मंदिर कड़ा 299.94 संत मलूक दास स्थल कड़ा 24.04 बुद्ध स्थल एवं जैन मंदिर पभोषा कौशांबी 18.80 राजा जयचंद्र का किला कौशांबी 81.31 ख्वाजा कड़कशाह दरगाह कौशांबी 9.98 इन धार्मिक स्थलों पर जल्द शुरू होगा निर्माण कार्य जिला पंचायत अध्यक्ष कल्पना सोनकर ने मुख्यमंत्री से बताया कि तीन धार्मिक स्थलों के कायाकल्प के लिए छह माह पूर्व जो धनराशि और शासन की ओर से पर्यटन विभाग को दी गई है। उसमें 23 करोड़ की लागत से बुद्ध थीम पार्क, 23 करोड़ की लागत से टीएफसी सेंटर, 23 करोड़ की लागत से कोशम इनाम में भगवान बुद्ध का गेट, 11 करोड़ की लागत से भगवान बुद्ध की 51 फीट ऊंची प्रतिमा 2 करोड़ 64 लाख की लागत से कुंवारी घाट कड़ा में आरती घाट का निर्माण होना है । धन मिलने के बाद भी अब तक पर्यटन विभाग ने कार्य नहीं शुरू किया है। जिस पर मुख्यमंत्री ने आश्वासन दिया कि सभी धार्मिक स्थलों को विकसित करने का कार्य जल्द ही शुरू कराया जाएगा। यदि इसमें किसी प्रकार की लापरवाही अधिकारियों द्वारा भर्ती गई तो उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई भी होगी।

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