
प्रयागराज ज़िले के कोरांव स्थित सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र की बदहाली एक बार फिर उजागर हुई है। क्षेत्र में हुई भारी बारिश के बाद अस्पताल परिसर में पानी भर गया, जिससे न केवल मरीजों को परेशानी हुई, बल्कि स्वास्थ्य सेवाएं भी प्रभावित हुई हैं।
स्वास्थ्य केंद्र, जो ग्रामीण आबादी के लिए इलाज का मुख्य सहारा माना जाता है, खुद पानी में डूबा नजर आया। बरामदे, वार्ड और ओपीडी के आसपास की जमीन पर घुटनों तक पानी जमा हो गया, जिससे मरीजों और स्टाफ को आवाजाही में भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ा।
स्थानीय लोगों ने सवाल उठाया है कि जब खुद अस्पताल की हालत इतनी बदतर है, तो आम जनता को स्वस्थ जीवन की गारंटी कौन देगा? मरीजों के साथ आए परिजनों ने बताया कि अस्पताल में न तो जल निकासी की व्यवस्था है, और न ही किसी तरह की तैयारी बारिश से पहले की गई थी।
एक मरीज के परिजन ने नाराजगी जताते हुए कहा, “यहां इलाज के लिए आते हैं, लेकिन लगता है जैसे किसी तालाब में आ गए हों। मरीजों को कंधों पर उठाकर अंदर ले जाना पड़ रहा है।”
स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही के चलते यह सवाल खड़ा हो रहा है कि क्या गांव और कस्बों के सरकारी अस्पताल सिर्फ कागजों पर ही ‘स्वस्थ’ हैं?
स्थानीय प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग को इस मामले का संज्ञान लेकर जल्द से जल्द जल निकासी की उचित व्यवस्था करनी चाहिए, ताकि अस्पताल खुद बीमार न दिखे।

Author: Kaushambi Sandesh
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