
प्रयागराज कोरांव
छोटी बड़ी नदियां उफान पर यदि इसी तरह होती रही वारिस तो 1994का इतिहास दूर नहीं
कोरांव प्रयागराज। कुदरत के कहर अब कष्ट दायक होने लगे हैं। निरंतर बरसात से पूरा इलाका जलमग्न हो गया है। तेज हवाओं ने कई आशियाने गरीबों के उजाड़ दिए। काफी पेड़ धराशाई हुए,बिजली आपूर्ति बाधित हुई, नगर हो गांव हर जगह के रास्ते अवरुद्ध,घरों में पानी घुसे, नदियां उफान पर हैं। अगर बारिश न रुकी तो 1994 की तरह के बाढ़ से इंकार नहीं किया जा सकता।अधिकारी गण भी क्षेत्र में जायजा ले रहे हैं। और यथोचित कदम उठा रहे हैं। उल्लेखनीय है कि बेलन नदी के बड़ोखर भोगन और टुंडियारी नदी का पुल डूब गया है, सेवटी नदी केडी मुख्य स्टेट हाइवे मार्ग पर पुलिया डूबने से तथा मेजा रोड कोरांव मार्ग पर लपरी नदी का पानी सड़क पर चलने के कारण आवागमन ठप हो गया है। कोरांव कस्बे में हर जगह पानी ही पानी दिख रहा है। नालिया जाम हैं। घरों में पानी घुस गए हैं। ग्राम सभा अल्हवा में पानी नदी का प्रवेश कर गया है जिससे नई निर्मित अस्पताल सहित लोगों के घर पानी की प्रवाहों से घिरे हैं। अपूर्णीय क्षति हुई है। आगे भी जारी रहने की संभावना है। बेलन नदी के पानी बाढ़ टेकने से छोटी नदिया नाले जलमग्न हो गए है। अब गांवों की ओर पानी निरंतर बढ़ने लगा है। नदी किनारे के गांव के लोग पलायन के चक्कर में है। सभी कक्षों में पानी भर गया। सर्प काटने का मरीज सुबह अस्पताल पहुंचा तो जल भराव के कारण व अस्पताल में दाखिल नहीं हो सका। किसी निजी अस्पताल में जाकर इलाज कराया। सीएचसी में जलभराव की समस्या की जानकारी मिलने पर तहसीलदार फौरन सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पहुंचे और जेसीबी बुलाकर जाम पड़े नाले की खुदाई करवाई। हालांकि तब तक बरसात भी धीमी हो चुकी थी और पानी भरने की रफ्तार भी कम हो गई थी। इसी तरह उमरी और सेमरी गांव के भी हालत बिगड़ते जा रहे थे। लोग पलायन के चक्कर में थे। इसी तरह सुभाष चपरो गांव में भी लपरी नदी के किनारे बसे गांव के लोग प्रभावित दिखे। इसी तरह अरुआरी में भी बाढ़ का प्रकोप देखने को मिला। हालांकि हालात को देखते हुए उप जिलाधिकारी संदीप तिवारी, तहसीलदार विनय बरनवाल सभी जिम्मेदार अधिकारी राजस्व निरीक्षक व लेखपालों के साथ अपने-अपने क्षेत्र का दौरा करते रहे। जहां भी जो समस्याएं थी वहां उनको तत्काल निस्तारित कराया गया।

Author: Kaushambi Sandesh
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