मेडई कल्याणी सेवा ट्रस्ट में आयोजित हुआ जल, जमीन,जंगल और जीव संरक्षण पर सेमिनार*

कौशांबी संदेश पत्रकार अमित कुशवाहा*

जल, जंगल और जमीन की बढ़ती समस्या और मनुष्य-प्रकृति के बिगड़ते संबंध पर रविवार 14 जुलाई 2024 को मेडई कल्याणी सेवा ट्रस्ट में जल, जमीन, जंगल और जीव संरक्षण पर सेमिनार का आयोजन किया गया।जिसके मुख्य अतिथि जिला अधिकारी मधुसूदन हुल्गी और विशिष्ट अतिथि वन अधिकारी कौशांबी राम सिंह यादव,मुख्य चिकित्सा अधिकारी कौशांबी, पशु चिकित्सा अधिकारी कौशांबी डा. आदेश कुमार मौर्य, विश्वविद्यालय प्रयागराज किसान विज्ञान केंद्र के प्रधान वैज्ञानिक डॉक्टर अजय कुमार सिंह उपस्थित रहे। कार्यक्रम की शुरुआत भारत माता की प्रतिमा पर दीप प्रजलित करके किया गया।इस दौरान अतिथियों के द्वारा एक-एक वृक्ष सभी आए हुए ग्राम वासियों को भेंट किया गया।श्री कृष्णा कामधेनु गौशाला देवरा में अतिथियों के द्वारा वृक्षारोपण का कार्य किया गया।तत्पश्चात जल,जमीन, जंगल व जीवन संरक्षण पर सभी लोगों ने अपने-अपने विचार व्यक्त किये। इस कार्यक्रम के संरक्षक पूर्व प्रांत प्रचारक राजेंद्र कुमार ,राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के विभाग विभाग संघ चालक सीताराम केसरी, जिला संघ चालक केदारनाथ,विश्व हिंदू परिषद के पूर्णकालिक मोहनलाल ने प्रधानमंत्री के आवाहन पर एक वृक्ष रोपित करने का लक्ष्य पूरे देश में किया गया है उसी अनुसार कार्यक्रम रहा ।इस कार्यक्रम के आयोजक एडवोकेट शिव बाबू व एडवोकेट हकीम कुशवाहा के द्वारा आयोजित किया गया। कार्यक्रम में लोगो को बताया गया की मनुष्य और प्रकृति एक दूसरे के पूरक है। दोनों का साथ और सहयोग ही पृथ्वी को हरा-भरा और खूबसूरत बना सकता है। लेकिन हम सभी इस पूरकता को भूलते जा रहे हैं। पूर्व प्रांत प्रचारक राजेंद्र प्रसाद ने कहा की वर्तमान समय में बड़ी तादाद में वृक्ष लगाए जाते हैं और तस्वीरें वायरल होती है। मगर उनकी देखभाल और संरक्षण पर कोई बहस नहीं होती है। जबकि हमारी परंपराओं में प्रकृति के प्रति साहचर्य और संरक्षण का भाव पहले से मौजूद है। उसी के कारण आज भी पृथ्वी पर जीवन है, लेकिन यह जीवन कब तक संभव हो सकेगा यह विचारणीय प्रश्न है।
कोरोना आपदा में ऑक्सीजन की किल्लत ने मनुष्य को ऑक्सीजन के महत्व को समझा दिया और पर्यावरण के संरक्षण पर पुन: मंथन के लिए विचाराधीन बना दिया। इस आपदा ने हमें पुन: पर्यावरण संरक्षण पर सोचने और पुन: एकजुट होकर आगे आने की सीख दी है, क्योंकि हम सभी सुविधाओं के कारण पर्यावरण के प्रति लापरवाह हो चुके हैं।यह लापरवाही केवल महानगरों में ही देखने को नहीं मिलती बल्कि ग्रामीण परिवेश में भी इसे देखा जा सकता है। जहाँ जंगलों का जलना लगातार जारी है, कहीं यह व्यक्ति हित के कारण हो रहा है तो कहीं लापरवाही से जंगल के जंगल जल रहे हैं। शहरों से लेकर गांवों तक कूड़े और इलेक्ट्रॉनिक कचरे का पहाड़ बन रहा है जो विकास की दौड़ में अभी बहस के केंद्र से बाहर है।सेमीनार में अधिवक्ता दीपक सिंह , संदीप मौर्य तथा सैकड़ो की संख्या में लोग मौजूद रहे।

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